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Showing posts from May, 2018

आनंद लहर

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आनंद लहर सद्‌गुरु, ईशा फाउंडेशन                  सद्‌गुरु  एक प्रबुद्ध योगी हैं, जिनका योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। सद्‌गुरु ने योग के गूढ़ आयामों को आम आदमी के लिए इतना सहज बना दिया है कि हर व्यक्ति उस पर अमल कर के अपने भाग्य का स्वामी खुद बन सकता है। अब से तीस साल पहले मैसूर में चामुण्डी पहाड़ी की चट्टान पर, दोपहर में तपते सूरज के नीचे उनमें आत्मज्ञान का उदय हुआ। इस घटना के बाद युवा ‘जग्गी’ का ‘सद्गुरु’ में रूपांतरण हो गया। अपने उस अनुभव का वर्णन करते हुए सद्‌गुरु कहते हैं, “मेरे पास बताने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि वह बताया ही नहीं जा सकता, मुझे सिर्फ इतना ही पता था कि मुझे एक सोने की खान मिल गई है, मेरे भीतर एक गुमनाम सोने की खान थी जिसे मैं एक पल के लिए भी खोना नहीं चाहता था। मेरे पास बताने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि वह बताया ही नहीं जा सकता, मुझे सिर्फ इतना ही पता था कि मुझे एक सोने की खान मिल गई है, जिसे मैं एक पल के लिए भी खोना नहीं चाहता था। मेरे भीतर आनंद फूट रहा था। मुझे पता था कि जो हो रहा है वह निरा पागलपन है, लेकिन मैं एक पल के लिए भी इस

ध्यानलिंग - आपके भीतर स्त्रीत्व और पुरुषत्व में संतुलन लाता है

आप एक पुरुष हों या स्त्री, जीवन को संतुलित रूप से जीने के लिए आपमें पुरुषैण और स्त्रैण दोनों ही गुण समान रूप से होने चाहिए। आखिर क्यों? ईशा केंद्र स्थित ध्यानलिंग की देखभाल का जिम्मा बंटा हुआ है - पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक यह काम आश्रम के स्वामी (पुरुष संन्यासी) का होता है, जबकि अमावस्या से लेकर पूर्णिमा तक का जिम्मा मां(महिला संन्यासी) का होता है। आखिर ऐसी व्यवस्था के पीछे कारण क्या है? और चन्द्र मास के इन दो पक्षों के गुणों में क्या अंतर है? सद्गुरु : चाँद का धीरे-धीरे घटना और बढ़ना – दो पक्षों में यही होता है। एक हिस्से में चंद्रमा का असर घट रहा है, जबकि दूसरे हिस्से में असर बढ़ रहा है। आप चन्द्र को सिर्फ इसीलिए जानते हैं, क्योंकि ये सूर्य की रौशनी परावर्तित करता है। सूर्य एक दहकता हुआ गोला है, इसलिए उसमें से रोशनी निकलती है, जबकि चंद्रमा ठंढा होता है। यह एक तरह से यह सूर्य का ही अंश है। यह केवल हमारे अनुभवों की बात नहीं है, बल्कि कुछ वैज्ञानिक अध्ययन भी कहते हैं कि ये सारी चीजें सौर पदार्थ ही हैं, जिन्होंने सूर्य की गति से उड़कर अलग-अलग आकार और स्वरूप ले लिए और फिर ये ग्रह या उपग

भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति - हम सिर्फ कमियों की ही बात क्यों करते हैं?

प्रश्न : जब हम भारतीय राजनीति या भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करते हैं तो बहुत सारी कमियां या नकारात्मकता सामने आ जाती हैं। ऐसा क्यों हैं, सद्गुरु? सद्गुरु: आज हम ऐसे हो गए हैं कि कहीं भी कुछ नकारात्मक होता है तो हम कहने लगते हैं कि ‘बहुत राजनीति’ हो रही है। यह कितने अफसोस की बात है! राजनीति का मतलब देश में नीति बनाने जैसी एक बेहद महत्वपूर्ण गतिविधि है, जिससे यह तय होता है कि देश कैसे और किस दिशा में आगे बढ़ेगा। अफसोस की बात है कि राजनीतिज्ञों की इस तरह की छवि बन गई है। जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था में नकारात्मकता की बात है तो मेरा मानना है कि ऐसी बातें कुछ खास तरह के लोग फैला रहे हैं, जो नहीं चाहते कि देश तरक्की करे और आगे बढ़े। आर्थिक संस्थाएं भारत की तरक्की की ओर इशारा कर रही हैं अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण व बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, जो दीर्घकालीन कदम हैं, जिन्हें उठाने के लिए साहस और एक दृढ़ निश्चय की जरूरत होती है। आज कर से होने वाली आमदनी सौ फीसदी तक बढ़ गई है और यह हालत तब है जब अभी तक देश की सिर्फ चौंसठ प्रतिशत कंपनियों ने अपने कर का रिटर्न भरा है। दुनिया की

हठ योग: नरक में भी दिलाए सुख का अहसास

हर इंसान के लिए योग के फायदे अलग-अलग होते हैं। लेकिन एक बात तय है कि नरकीय तकलीफों से यह आपको जरूर बचा लेगा। आपको नरक में अगर भेज भी दिया जाए तो हठ योग आपको ऐसा अहसास दिलाएगा कि आप स्वर्ग में हैं।  फिर आपको कभी कोई नहीं सताएगा!(हंसते हैं)। यह कोई मामूली आजादी नहीं है। हठ योग एक बहुत बड़ा विज्ञान है। यह आपके शरीर, मन और ऊर्जा का एक ऐसा मंच तैयार कर देता है जहां से आप अपनी जिंदगी को सही तरीके से अनुभव कर पाते हैं। सवाल बस यह है कि जिंदगी की आपकी अनुभूति कितनी गहरी है। हठ योग एक बहुत बड़ा विज्ञान है। यह आपके शरीर, मन और ऊर्जा का एक ऐसा मंच तैयार करता है जहां से आप अपनी जिंदगी को सही तरीके से अनुभव कर पाते हैं। किसी भी तरीके से अपने रसायन में बदलाव भर लाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। जब भी आपके रसायन में बदलाव होता है, चाहे योग से हो या भोग से, आपको एक खुशनुमा अहसास होता है। लेकिन सिर्फ खुशी पाने की कोशिश भी कोई बहुत मायने नहीं रखती। हठ योग का तो सही मतलब है एक ऐसी प्रणाली बनाना जो जीवन के हर अच्छे-बुरे पहलू को एक अनुभूति के रूप में ले सके– जहां कोई भी अनुभूति इस प्रणाली को, इस ऊर्जा को